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तृतीय विश्व युद्ध की आकांक्षा - भाषण हिन्दी युद्ध अशांति का द्योतक छिनता सांसें बेकसूरों की घृणा, इर्ष्या, अहं हैं जड़ बड़प्पन है अरमां उसकी किसी भी युद्ध की शुरुआत एक छोटी सी गलती से होती है और खात्मा मूर्खता पर होती है। युद्ध कभी भी शांति का परिचायक नहीं रहा। जब भी युद्ध हुए, जान-माल, प्रकृति, सम्पत्ति की क्षति हीं हुई। विगत युद्धों का उद्देश्य केवल बड़प्पन जाहिर करना रहा है। वर्तमान दुनिया में भी तीसरे विश्व युद्ध की आहट सुनाई पड़ रही है। खैर; आज विश्व समाज में शांति, परस्पर विश्वास व सद्भाव का वातावरण कायम करने के लिए एक और विश्व युद्ध की आवश्यकता महसूस हो रही है। सुप्रभात! आदरणीय प्राचार्य महोदय, शैक्षणिक प्रधान महोदय, शिक्षकवृंद एवं प्रिय साथियों, मैं अंकित कक्षा दसवीं का छात्र,तृतीय विश्व युद्ध की आकांक्षा विषय पर अपने विचार प्रस्तूत करने जा रहा हूं। आप लोग सोच रहे होंगे, स्वयं मैं भी सोचा करता था, यह क्या पागलपन है? विश्व शांति के लिए एक और विश्व युद्ध? विगत प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध का भयंकर हाड़कंपाने वाला नज़ारा, दुबारा भला कौन देखना चाहेगा? जो खासकर हिरोशिमा व ...
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